Mahabharat Dhritarashtra Vivah | धृतराष्ट्र का विवाह अंधी बहु
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Mahabharat Dhritarashtra Ke Vivah Ki Katha Kahani |
Mahabharat Dhritarashtra Ka Vivah: Andhi Bahuमहाभारत धृतराष्ट्र का विवाह: अंधी बहु
जैसे ही प्रजा को पता चला कि महाराज शान्तनु का वंश नष्ट होने से बच गया है। अब उनके तीन राजकुमार धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा महान ज्ञानी विदुर जी मिलकर देश का शासन चलायेंगे तो सारी प्रजा खुशी से नाचने लगी, पूरे देश में कई दिन तक खुशियां मनाई गईं।
उघर भाई भीष्म ने अपने तीनों भाईयों को बड़े लाड़-प्यार से पाला, उनकी शिक्षा-दीक्षा तो महान विद्वान व्यास जी से अधिक कौन कर सकता था, किन्तु मां और भीष्म के लिये सबसे दुःख की बात तो धृतराष्ट्र का अन्धा पैदा होना था।
इसका कारण माता अम्बिका स्वयं थी। क्योंकि उसे व्यास जी की शक्ल से घृणा थी। जिस समय वह व्यास के साथ स्पर्श कर रही थी, उसने आंखें बन्द की ली थीं। उसका फल यह निकला कि उसके पेट से जन्म लेने वाली सन्तान की आंखें बन्द हो गई, धृतराष्ट्र मां के पेट से ही अन्धे पैदा हुये, जिसका प्रभाव उसके नैतिक जीवन पर अधिक पड़ा था।
किन्तु फिर भी भाई भीष्म ने अपने अंधे भाई को सीने से लगाया और उसका विवाह कंधार के महाराज सुबल की पुत्री कन्धारी से कर दिया।
रूप सुन्दरी कन्धारी ने अपने पति को अंधा देखकर स्वयं भी सारी आयु आंखों पर पट्टी बांधकर अंधों की भाति जीवन व्यतीत करने की प्रतिज्ञा कर ली, उसने पतिव्रतधर्म का पालन करने के लिये जीवन ही हर खुशी को त्याग दिया।
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