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Moral Story In Hindi On Respect: एक सैनिक की कहानी

Moral Story In Hindi On Respect का अंश: सैनिक ने अपने पिताजी से कहा, पिताजी मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी आना चाहता है, क्या मै उसे अपने साथ लेकर आ जाऊं  या नही? 
पिताजी बोले, बेटा तुम बात को समझो। हमलोग खुद बूढ़े हो रहे, हमलोगों की खुद की निजी जिन्दगी है, इस बुढ़ापे में हमलोग किसी और को नही रख सकते।… 

यह कहानी एक सैनिक की है जिसकी पोस्टिंग कश्मीर के कार्गिल में थी। 

वह काफी दिनों बाद आपने घर को जाना चाहता है। ये सोच सैनिक ने अपने घर आने की खबर माँ पिता को देना चाहा। 

आपने आने का खबर देने के लिए उसने अपने घर में फ़ोन किया और बताया की वह नेक्स्ट वीक छुट्टी में घर आ रहा।

उसने अपने पिताजी से पूछा, पिताजी मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी आना चाहता है, क्या मै उसे अपने साथ लेकर आ जाऊं  या नही? 

पिताजी ने बोला क्यों नही जरुर ले कर आओ हमे तुम्हारे मित्र से मिल कर अच्छा लगेगा।सैनिक ने बोला, पिताजी एक बात है जो आपको मेरे दोस्त को घर बुलाने से पहले उसके के बारे में जानना चाहिए। 

वो बॉर्डर की लड़ाई में चोटिल हो गया है। लड़ाई में उसने अपने एक हाथ और पैर गवा दिए है।

इस वजह से वो अपने निजी काम को करने मे बिलकुल ही असमर्थ है। वो कही जाने से घबरा रहा, इस कारण मैं सोच रहा उसे अपने घर ले आऊ और वो हमलोगों के साथ में ही रहे।ये सुनते पिताजी बोले, मुझे माफ़ करना बेटा, क्यों नही हमलोग उसको कही और रहने में मदद करे।

सैनिक ने फिर से जिद किया, मुझे उसे ले कर आना है और साथ में रखना।पिताजी बोले, बेटा तुम बात को समझो। हमलोग खुद बूढ़े हो रहे, हमलोगों की खुद की निजी जिन्दगी है, इस बुढ़ापे में हमलोग किसी और को नही रख सकते। उसे भी और हमलोगों को भी बहुत ही परेसानी होगी।

बेटे तुम्हारी सोच अच्छी है पर तुम अभी के लिए उसे भूल जाओ और तुम घर आ जाओ। तुम्हारा दोस्त खुद अपने रहने के लिए घर की व्यवस्था कर लेगा।ये बात सुनते ही बेटे ने गुसे में फोने काट दिया। 

कुछ दिन के बाद फिर से सैनिक के पिताजी को कश्मीर से फोने आता है पर इस बार उनका बेटा नही कश्मीर से किसी पुलिस ऑफिसर का फोन रहता है। 

वो अधिकारी बतता है की उनका बेटा किसी उची ईमारत से कूद कर जान दे दिया। अधिकारी उनके बेटा की आत्महत्या की जानकारी देता है। ये सुनते ही सैनिक के घर में मातम छा गया।दुखी माता-पिता ने तुरंत कश्मीर जाने वाली फ्लाइट ले ली और अपने बेटे की डेड बॉडी की पहचान करने के लिए शहर के मुर्दाघर गए। 

उन्होंने अपने बेटे का शव को देखा तो उसके एक हाथ और पैर नही थे। उस्सी वक़्त उन्हें बेटे की फोने वाली बात याद आई और दोनों को उस समय अपनी की हुई बातो को ले कर बहुत ही खेद आ रहा था।

Moral of the story: नैतिक

इस कहानी में माता-पिता हम में से ही कई लोगों की तरह हैं। हमें उन लोगों से प्यार करना आसान लगता है, जो अच्छे दिखने वाले या मौज-मस्ती करने वाले होते हैं, लेकिन हम ऐसे लोगों को पसंद नहीं करते हैं जो हमें असहज करते हैं या हमें असहज महसूस कराते हैं। 

हम उन लोगों से दूर रहते जो हमारे जैसे ही स्वस्थ, सुंदर, या स्मार्ट नहीं हैं। शुक्र है, कोई तो है जो हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करता है। कोई तो है जो हमें बिना शर्त प्यार से प्यार करता है।  जो हमें हमेशा के लिए परिवार में मानता है, भले ही हम कितने भी गड़बड़ हों।आज की रात, थोड़ी प्रार्थना करें कि ईश्वर हमे यह शक्ति दे जिससे हम उन लोगों को स्वीकार कर सके जो हमारे जैसे नहीं हैं, और हम सभी को उन लोगों की अधिक से अधिक सहयता करने के लिए हमें मजबूती प्रदान करें!

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