Moral Story Hindi Respecting Eldersकाअंश: महिपाल निराश था और बस सोच रहा था कि अपने बेटे से कैसे मिल पायेगा। वह उसी घर के सामने वाली गली में चलना शुरू कर दिया, की तभी एक व्यक्ति ने महिपाल ने पूछा, “क्या आप विजय के पिता है और उसे तलाश कर रहे हैं?”…। इस Moral Story Hindi Respecting Eldersको अंत तक जरुर पढ़ें…
एक गाँव की बात है, वहां महिपाल नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति रहा करता था। उसने कुछ सालों से अपने बेटे को नही देखा था और वह अपने बेटे से मिलना चाहता था।
उनका बेटा एक शहर में रहता था। एक दिन बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे से मिलने शहर में गया, जहां उनका बेटा काम करता था। वह वहां उसके घर भी गया जहाँ उसका बेटा रहता था।
जब वह दरवाजा खटखटा रहा था तो वह उत्साहित था और अपने बेटे से मिलने के खुशी में मुस्कुरा रहा था। दुर्भाग्य से, किसी और लड़के ने दरवाजा खोला।
महिपाल ने पूछा, “क्या विजय घर में है?”
उस व्यक्ति ने कहा, “नहीं!
उस व्यक्ति ने महिपाल को बताया की उसका बेटा विजय उस जगह को छोर कर कही और एक अलग स्थान पर शिफ्ट हो गया है।
” महिपाल निराश था और बस सोच रहा था कि अपने बेटे से कैसे मिल पायेगा।
वह उसी घर के सामने वाली गली में चलना शुरू कर दिया, की तभी एक व्यक्ति ने महिपाल ने पूछा, “क्या आप विजय के पिता है और उसे तलाश कर रहे हैं?”
महिपाल ने सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
उस व्यक्ति ने महिपाल को उसके बेटे के नए घर का पता और कार्यालय का पता दिया।
महिपाल ने उन्हें धन्यवाद दिया और उस रास्ते की ओर चल पड़ा जो उनके बेटे के घर की योर ले जाता।
महिपाल ने कार्यालय में जाकर रिसेप्शन काउंटर पर पूछा, “क्या आप मुझे इस कार्यालय में विजय कहा बैठते है बता सकते हैं?”
रिसेप्शनिस्ट ने पूछा, “क्या आप बता सकते है कि आपका विजय से क्या सम्बंध है?”
महिपाल ने विनम्रतापूर्वक जवाब दिया, “मै विजय का पिता हूँ”
रिसेप्शनिस्ट ने कहा, आप थोड़ी देर प्रतीक्षा करें मै विजय को बता कर आती हूँ।
विजय आपने पिताजी के आने के बारे में सुन कर हैरान था और उसने रिसेप्शनिस्ट से कहा कि वह उसके पिता को तुरंत केबिन में भेजे। Naitik Shiksha Par Kahani In Hindi: भेड़िया आया को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
महिपाल ने केबिन में प्रवेश किया और जब उसने विजय को देखा, तो उसकी आँखें आँसुओं से भर गईं।
विजय अपने पिता को देखकर खुश था। थोड़ी देर तक उनकी साधारण बातचीत हुई और फिर महिपाल ने विजय से पूछा, “बेटा! माँ आपको देखना चाहती है। क्या तुम मेरे साथ घर आ सकते हो?”
विजय ने जवाब दिया, “नहीं पिताजी। मैं अभी काम में बहुत व्यस्त हूं और अभी यहाँ से जाना मुश्किल है क्योंकि मेरे पे बहुत सारा काम का बोझ हैं।
“महिपाल ने एक सरल मुस्कान दी और कहा,” ठीक है! आप अपना काम करें। आज शाम को मै गाँव वापस जा रहा हूँ।
“विजय ने कहा,” आप मेरे साथ कुछ दिनों तक रह सकते हैं।
महिपाल ने कुछ देर चुप रहने के बाद जवाब दिया, “बेटा आप अपने काम में इतना व्यस्त हैं की आपका मेरे लिए समय निकाल पाना मुश्किल होगा। मैं यहा रह कर आप पर बोझ नही बनना चाहता हूँ। मुझे आशा है कि हमलोग फिर कभी जरुर मिलेंगे, और मुझे बहुत खुशी होगी। Moral Story With Valuable Lessons Hindi: आपके कर्म का प्रतिबिंब को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
“यह बोल वह वहां से चला दिया।
कुछ हफ्तों के बाद, विजय ने सोचा कि उसके पिता इतने लंबे समय के बाद उसके पास आए थे, और उसने अपने पिता के साथ कितने अजीब तरीके से व्यवहार किया और इसके लिए उसे बुरा भी लग रहा था।
इन सब के लिए वह खुद को दोषी महसूस कर रहा था और उसने कुछ दिनों के लिए ऑफिस से छुट्टी ली और अपने पिता से मिलने के लिए अपने गांव चला गया।
जब वह अपने घर पर गया जहाँ वह पैदा हुआ और बड़ा हुआ था, तो उसने देखा कि उसके माता-पिता वहाँ नहीं थे।
वह चौंक गया और उसने पड़ोसियों से पूछा, मेरे माता-पिता अब कहाँ हैं?
“पड़ोसियों ने उसे उस जगह का पता दिया जहां उसके माता-पिता रह रहे थे।
विजय उस स्थान पर पहुंचा और देखा कि वह स्थान कब्रिस्तान जैसी थी।
उसके पिता महिपाल ने विजय को दूर से देखा और उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए अपना हाथ हिलाया विजय की आँखें आँसुओं से भर गईं और धीरे-धीरे उनकी ओर चलना शुरू कर दिया।
फिर विजय अपने पिता की ओर देखता हुआ दौड़ना शुरू कर दिया और उन्हें गले लगा लिया।
महिपाल ने पूछा, “आप कैसे हैं?” “यहाँ आपको देखकर आश्चर्य हुआ। मुझे उम्मीद थी कि आप इस जगह पर जरुर आएंगे।
“विजय ने शर्म महसूस की और अपना सिर नीचे कर लिया।
महिपाल ने पूछा,” आपलोगो की इस तरह की हालत कैसे हुई। क्या आपके साथ कुछ गलत हुआ था? मुझे नहीं लगा था की कभी मैं आपको इस स्थिति में देखूंगा।
महिपाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने कर्ज लिया था आपकी कॉलेज के पढाई के लिए, और फिर जब आपको एक नई कार चाहिए था तब भी।
लेकिन खेती में हुए नुकसान के कारण मैं कर्ज नहीं चुका सका। इसलिए मैंने आपसे मदद लेने के लिए सोचा और आपके पास आया, लेकिन आप बहुत व्यस्त थे और अपने काम के कारण तनाव में थे।
उस समय मैं आपको सिर्फ इस समस्या से अवगत करवाना चाहता था की मुझे कर्ज चुकाने के लिए अपने घर को बेचना पड़ रहा है। “
विजय कुछ फुसफुसाया और बोला, “आप यह परेशानी कह सकते थे, मै कोई बाहरी व्यक्ति नहीं हूँ पिताजी!
“महिपाल ने पलट कर कहा,” आप अपने काम में बहुत व्यस्त और तनावग्रस्त थे इसलिए मैं चुप रहा। हम सब आपकी खुशी चाहते है।
विजय रोने लगा और अपने पिता को फिर गले लगा लिया। उसने अपने पिता से माफी मांगी और अपनी गलती के लिए माफ करने को कहा।
महिपाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे अब जो मिला है, उससे खुश होकर अपनी बची हुई जिन्दगी जीनी है।
मैं बस यही चाहता हूं कि आप हमारे लिए कुछ समय निकालें, हम आपसे बहुत प्यार करते हैं और इस बुढ़ापे में अक्सर आपको देखने के लिए इतने दूर यात्रा कर पाना कठिन होता है।”
नैतिक: माता-पिता हमारे खुशी के लिए हर चीज़ करते है जिससे हमें वे खुश कर सकें। हम सभी इस बात के लिए कभी उनकी सराहना नही करते हैं, जब तक कि हमें यह एहसास नही हो जाता की अब बहुत देर हो चुकी है।
जब आप अपने जीवन में सफलता का मार्ग खोजने में व्यस्त होते हैं, तो अपने माता-पिता को भी अपने साथ में रखें क्यूंकि वही आपकी सफलता का सही कारण हैं।
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